
File Photo of Akhilesh Yadav and Yogi Adityanath
लखनऊ. प्रदेश में हुए चार बड़े घोटाले पर आजकल राजनीतिक गलियारों में सहमी सहमी सी चर्चा हो रही है। इन चार घोटालों में से दो घोटालों पर पूर्व की समाजवादी सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर उगुंलियां उठ रही है तो वहीं पर दो घोटालों में वर्तमान की योगी सरकार पर भी आरोप लग रहे हैं। योगी सरकार सभी घोटाले की जांच करा रही है और उसका दावा है कि वह दोषियों को सलाखों के पीछे लाकर ही दम लेगी। हालांकि विपक्षी दल दो नए घोटाले में सरकार की भूमिका को संदिग्ध मान रहे हैं।
प्रदेश सरकार में इस वक्त हमीरपुर खनन घोटाला, होमगार्ड वेतन घोटाला,यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला और गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच चल रही है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सत्ता में आने के बाद गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद इसमें जांच शुरू हुई थी। इस साल के 27 नवम्बर को सीबीआई ने अपनी प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है। एफआईआर दर्ज करने के लिए सीबीआई अपने मुख्यालय के आदेश का इंतजार कर रही है। इस घोटाले की आंच पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक आती नजर आ रही है। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। उस वक्त शिवपाल सिंह यादव के पास सिंचाई विभाग था। सरकार, इस घोटाले की जांच के परिणाम के आधार पर अखिलेश यादव को घेराना भी चाहेगी।
अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में ही वर्ष 2016 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हमीरपुर खनन घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी दी थी। माना जा रहा है कि यह करीब 100 करोड़ रुपए का घोटाला है। योगी सरकार ने इस मामले में जांच को और तेजी दी है। सीबीआई की जांच में कई आईएएस के फंसने का आंदेशा है। फिलहाल माना जा रहा इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सीबीआई पूछताछ कर सकती है।
साफ—सुथरी सरकार का दावा करने वाले योगी सरकार के शासनकाल के करीब ढाई साल के बाद नवम्बर का माह उनके लिए कुछ अच्छा साबित नहीं हुआ। नवम्बर के शुरुआत में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन (यूपीपीसीएल)के कर्मचारियों के सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ)और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) के अरबों रुपए के घोटाले का मामला जनता के सामने आया है। जिसमें कर्मचारियों का करीब 2267.90 करोड़ रुपए दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंस गया है। विपक्षी पार्टियों के विरोध के बाद मुख्यमंत्री इस मामले में गंभीर हैं और उन्होंने जिम्मेदारों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए हैं।
नवम्बर मध्य तक पहुंचते पहुंचते उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्धनगर जिला से जनता के बीच होमगार्ड वेतन घोटाला सामने आया, जिसमें कई सौ करोड़ रुपए के घोटाले की उम्मीद है। मामले के सुबूत न मिले इसलिए संबंधित फाइल में 18 नवंबर की रात आग लगाने की बात कही जा रही है। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने सख्ती दिखते हुए इस मामले में कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
करीब ढाई साल बाद राज्य में चुनाव होने वाले हैं, भाजपा को अपना जनाधार बरकरार रखने और समाजवादी पार्टी को अपना जनाधार दुबारा से हासिल करने के लिए तैयारियां चल रही हैं। परन्तु गोमती रिवर फ्रंट घोटाला, खनन घोटाला जहां समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के पेशानी पर बल पैदा कर रहा है, तो होमगार्ड वेतन घोटाला और यूपीसीएल पीएफ घोटाला से भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आरोप लग रहे हैं। निश्चिततौर ये चार घोटाले यूपी की राजनीति को काफी हद तक प्रभावित करेंगे।
ये है वो चार घोटाले :—
रिवर फ्रंट : गौरतलब है कि गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपए जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। मामले में वर्ष 2017 में योगी सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। आरोप है कि डिफॉल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों को बदल दिया गया था। पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दिया गया था। मामले में योगी सरकार ने मई 2017 में रिटायर्ड जज अलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच कराई। इस मामले में ईओडब्ल्यू के बाद जांच सीबीआई चली गई, नवम्बर में सीबीआई ने प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है।
खनन घोटाला : जुलाई 2012 के बाद जिले में 62 मौरंग के खनन के पट्टे दिए थे। ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टे देने का प्रावधान था। जिलाधिकारी पद पर रहते हुए सारे प्रावधानों की अनदेखी कर तत्कालीन जिलाधिकारी बी चन्द्रकला ने रमेश मिश्रा के साथ मिलकर जिले में जमकर अवैध खनन करवाया था। वर्ष 2015 को HC ने सभी खनन पट्टे अवैध घोषित कर दिए। जिसके बाद भी अवैध खनन का जारी रहा। फिर सीबीआई ने यहां पहुंचकर अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है, और अभी भी जांच चल रही है।
होमगार्ड वेतन घोटाला : उत्तर प्रदेश के नोएडा में होमगार्ड की सैलरी और तैनाती से जुड़े घोटाला मामले में होमगार्डों की ड्यूटी रोजाना लगाई जाती है। इसके लिए होमगार्ड के अधिकारी मास्टर रोल तैयार करते हैं। अगर किसी थाने या ऑफिस में 5 होमगार्डों की जरूरत है, तो मास्टर रोल पर 5 के बजाय 10 या 12 होमगार्ड को ड्यूटी पर दिखाया जाता था। इसके लिए संबंधित थाने व दफ्तर की फर्जी मुहर इस्तेमाल की जाती थी। इसके एवज में उन होमगार्डों को भी कुछ पैसे मिलते थे, जिनका फर्जी मास्टर रोल पर नाम होता था। नोएडा पुलिस के अनुसार, जिले में करीब 500 होमगार्ड हैं। इन्हें ड्यूटी करने पर रोजाना के हिसाब से 600 रुपए मिलते हैं।
यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के एक लाख से अधिक कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ)और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) के 2267.90 करोड़ रुपए दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंस गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है। फिलहाल ईओडब्ल्यू इस केस की जांच कर रही है।
Updated on:
30 Nov 2019 06:08 pm
Published on:
30 Nov 2019 06:06 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
